होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
होली का त्यौहार फागुन मास में आता है। इस समय मादक हवायें चलती है और चारो ओर का वातावरण रंगो से भर जाता है। प्रकृति का सौंदर्य अत्यंत मनोहारी हो जाता है। शीत ऋतु का पलायन और ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो रहा होता है। जिससे लोगो में उत्साह देखने को मिलता है। गेहूं की फसल पक चुकी होती है उसकी कटाई की तैयारी हो रही होती है। आम के पेड़ों पर बौर आ चुकी होती है। सुबह हल्की सर्दी और दिन में गर्मी का अहसास होने लगता है। भौंरों का गुंजार-स्वर जोर पकड़ने लगता है। अब तक मौन बैठी कोयल पंचम स्वर से गान कर उठती है। मंद-मंद वायु का प्रवाह पुष्पों के स्पर्श से पर्यावरण को सुगंधित कर देता है। मधुमक्खियाँ अपने छत्तो में शहद का संचय करने लगती है। तितलियाँ भी फूलों पर मडराने लगती है। एक अलग ही प्रकार की अनुभूति होने लगती है जिसे शायद शब्दों में उतनी अच्छी तरह से ना पिरोया जा सके। इस परिवर्तन को सिर्फ महसूस किया जा सकता है।